Jalandhar, March 04, 2023
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने देश भर के डॉक्टरों और चिकित्सकों को सलाह दी है कि वे मौसमी बुखार, खांसी और जुकाम से बचाव के लिए एंटीबायोटिक्स न दें। एच3एन2 वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस बात की जानकारी देश के सबसे बड़े चिकित्सा संगठन ने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एक नोटिस के जरिए दी है। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक नोटिस में आईएमए ने मौसमी बुखार, सर्दी और खांसी के मरीजों को प्रिस्क्रिप्शन एंटीबायोटिक्स से बचने की सलाह दी है।
आईएमए की स्टैंडिंग कमेटी फॉर एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस की ओर से जारी नोटिस के मुताबिक, मौसमी बुखार 5 से 7 दिनों तक रहेगा। नोटिस में आगे कहा गया है कि बुखार तीन दिनों के बाद कम हो जाता है, लेकिन खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है। यह ज्यादातर 50 साल से ऊपर और 15 साल से कम उम्र के लोगों में होता है। नोटिस में कहा गया है कि वायु प्रदूषण इन वायरस के मुख्य कारणों में से एक है।
आईएमए के मुताबिक कई एंटीबायोटिक दवाओं का गलत इस्तेमाल हो रहा है। उदाहरण के लिए, डायरिया के 70% मामले वायरल निदान होते हैं जिन्हें एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन एंटीबायोटिक्स अक्सर डॉक्टरों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। नोटिस के मुताबिक, सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल एंटीबायोटिक्स का होता है। उनका उपयोग दस्त और यूटीआई के इलाज के लिए किया जाता है। आईएमए का कहना है कि एंटीबायोटिक्स देने से पहले यह पता लगाना जरूरी है कि संक्रमण बैक्टीरियल है या नहीं। चिकित्सा संघ ने संक्रमण से बचने के लिए लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहने की सलाह दी है। साथ ही हाथ अच्छे से धोने का भी आग्रह किया।
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