jalandhar, February 19, 2021 7:30 pm
भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) मौजूदा दौर के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज हैं. रिकॉर्डों के शिखर पर वह बैठे हैं और बाजार की नजरों मे सबसे बड़े ब्रांड भी बन चुके हैं. दूर से देखने वाले किसी भी आम इंसान के लिए वह एक सुखी और संपूर्ण शख्स की नजर आते हैं, लेकिन उनके दिमाग में क्या चलता है, ये कम ही लोगों को पता होगा. ऐसे में सफलता की ऊंचाईयां छूने वाले क्रिकेटर को भी मानसिक अवसाद यानी डिप्रेशन का सामना करना पड़ा है, इस पर यकीन करना मुश्किल है. लेकिन ये सच है और खुद भारतीय कप्तान ने इसके बारे में बात की है. कोहली ने कहा है कि 2014 में इंग्लैंड के खराब दौरे के दौरान वह डिप्रेशन से जूझ रहे थे और उन्हें लग रहा था कि वह पूरी दुनिया में सबसे अकेले शख्स हैं.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 21 हजार से ज्यादा रन बना चुके और 70 शतक लगा चुके कोहली पिछले एक दशक से क्रिकेट जगत पर राज कर रहे हैं. मैदान के अंदर की उनकी सफलता का असर मैदान के बाहर उनकी गतिविधियों पर भी दिखता है और वह सबसे ज्यादा कमाई करने वाले क्रिकेटर बन गए हैं. फोर्ब्स लिस्ट में उनका नाम आता है. इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले क्रिकेटर हैं. लेकिन इन सबसे ऊपर है उम्मीदों का भार, जो बाकी सबको बौना कर देता है.
खिलाड़ियों में डिप्रेशन और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कोहली पहले भी बात कर चुके हैं और एक बार फिर उन्होंने अपने उदाहरण के साथ इस मुद्दे को उठाया है. इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर और कॉमेटेंटर मार्क निकोलस (Mark Nicholas) के साथ बातचीत में कोहली ने स्वीकार किया कि वह उस दौरे के दौरान अपने करियर के मुश्किल दौर से गुजरे थे. निकोल्स के पॉडकास्ट पर बात करते हुए जब कोहली से जब पूछा गया कि वह कभी डिप्रेशन में थे, तो उन्होंने हां में जवाब दिया. भारतीय कप्तान ने कहा,
“हां, मेरे साथ ऐसा हुआ था. यह सोचकर अच्छा नहीं लगता था कि आप रन नहीं बना पा रहे हो और मुझे लगता है कि सभी बल्लेबाजों को किसी दौर में ऐसा महसूस होता है कि आपका किसी चीज पर कतई नियंत्रण नहीं है.”
कोहली 2014 के इंग्लैंड दौरे की बात कर रहे थे. उस समय तक कोहली भारतीय कप्तान नहीं थे, लेकिन टीम के मुख्य बल्लेबाज बन चुके थे. कोहली के करियर में सबसे खराब दौरान वही रहा, जहां उनके बल्ले से पांच टेस्ट मैचों की 10 पारियों में सिर्फ 13.50 की औसत से रन बनाये थे. उनके स्कोर 1, 8, 25, 0, 39, 28, 0,7, 6 और 20 रन थे. हालांकि, इसके बाद ऑस्ट्रेलिया दौर में उन्होंने 692 रन बनाकर शानदार वापसी की थी.
भारतीय कप्तान ने कहा कि बिल्कुल अकेला महसूस करने लगे थे. उन्होंने कहा कि उनके आस-पास बात करने के लिए लोग थे, लेकिन कोई भी ऐसा पेशेवर नहीं था, जो इस बारे में समझ सके और समझा सके. कोहली ने कहा,
“आपको पता नहीं होता है कि इससे कैसे पार पाना है. यह वह दौर था जबकि मैं चीजों को बदलने के लिये कुछ नहीं कर सकता था. मुझे ऐसा महसूस होता था कि जैसे कि मैं दुनिया में अकेला इंसान हूं. निजी तौर पर मेरे लिये वह नया खुलासा था कि आप बड़े समूह का हिस्सा होने के बावजूद अकेला महसूस करते हो. मैं यह नहीं कहूंगा कि मेरे साथ बात करने के लिये कोई नहीं था लेकिन बात करने के लिये कोई पेशेवर नहीं था जो समझ सके कि मैं किस दौर से गुजर रहा हूं.”
विराट ने इस बात पर जोर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे किसी खिलाड़ी का करियर बर्बाद हो सकता है. उन्होंने कहा, “ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसके पास किसी भी समय जाकर आप यह कह सको कि सुनो मैं ऐसा महसूस कर रहा हूं. मुझे नींद नहीं आ रही है. मैं सुबह उठना नहीं चाहता हूं. मुझे खुद पर भरोसा नहीं है. मैं क्या करूं. कई लोग लंबे समय तक ऐसा महसूस करते हैं. इसमें महीनों लग जाते हैं. ऐसा पूरे क्रिकेट सत्र में बने रह सकता है. लोग इससे उबर नहीं पाते हैं. मैं पूरी ईमानदारी के साथ पेशेवर मदद की जरूरत महसूस करता हूं.”
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