Jalandhar, January 24, 2020
मुंबई (प्रतिवचन ब्यूरो)
हाल ही में वुमन टीम इंडिया के बल्लेबाज स्मृति मंधाना (Smriti Mandhana) को आईसीसी की ओर से साल की वुमन क्रिकेटर घोषित किया है. इसके अलावा बीसीसीआई की ओर से जारी सालाना केंद्रीय अनुबंध में पुरुष और महिला क्रिकेटर्स को दी जाने वाली राशि में अंतर चर्चा का विषय था. पुरुषों के मुकाबले महिला क्रिकेटरों को बहुत कम राशि पर मंधाना ने अपनी प्रतिभा की तरह दुनिया भर के फैंस का दिल जीत लिया है.
मंधाना महिला क्रिकेट की चुनौतियों से भली भांति परिचित हैं. और पुरुष और महिला क्रिकेटरों की सैलरी में अंतर से परेशान या निराश कतई नहीं हैं. पूर्व नंबर एक वनडे महिला बल्लेबाज ने सामन भुगतान के मुद्दे पर मुंबई में हुए एक कार्यक्रम में अपने विचार रखे.
मंधाना ने कहा, "हमें समझना होगा कि जितनी कमाई क्रिकेट में होती है वह पुरुष क्रिकेट से होती है. जिस दिन महिला क्रिकेट से कमाई होने लगेगी मैं यह सबसे पहले कहूंगी कि हमें बराबर की सैलरी दी जाए, लेकिन फिलहाल हम ऐसा नहीं कह सकते"
23 साल की क्रिकेटर ने पुरुष क्रिकेट की कमाई और संरचना के बारे में भी बात की. पुरुष क्रिकेटरों को बीसीसीआई की ओर से जारी सालाना केंद्रीय अनुबंध के तहत जहां सबसे ज्यादा 7 करोड़ रुपये मिल रहे हैं, वहीं महिला क्रिकेटर को सबसे ज्यादा 50 लाख की सैलरी दी जा रही है.
मंधाना ने कहा, "मुझे नहीं लगता है कि हमारी कोई भी साथी खिलाड़ी इस अतंर के बारे में सोच रही है क्योंकि इस समय हमारा ध्यान देश के लिए मैच जीतने पर है जिससे लोगा मैच देखने आएं और कमाई बढ़े. हम इस लक्ष्य को देख कर आगे बढ़ रहे हैं और यह हो सका तो बाकी चीजें अपने आप हो जाएंगी.
मंधाना ने कहा, "इसके लिए हमें परफॉर्म करना होगा. हमारे लिए यह कहना सही नहीं होगा कि हमें समान सैलरी की जरूरत है. यह सही नहीं हैं. इसलिए मुझे नहीं लगता कि मैं इस अंतर पर टिप्पणी करना चाहती हूं.
वुमन टीम इंडिया को अब ऑस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय सीरीज और फिर वर्ल्ड टी20 टूर्नामेंट खेलना है. मंधाना को लगता है कि त्रिकोणीय सीरीज टीम के लिए वर्ल्ड कप की तैयारियों के लिए सही भूमिका अदा करेगी.
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