Jalandhar, May 21, 2020
चंडीगढ़
पंजाब में इस बार खेती का अंदाज और स्वरूप बदला हुआ नजर आएगा। श्रमिकों की कमी के कारण इस बार धान की खेती में बदलाव होगा और राज्य में अब धान की सीधी बुआई होगी। किसानों ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी है और खेतीबाड़ी विभाग (कृषि विभाग) ने इस संबंध में लक्ष्य भी तय कर दिया है।
श्रमिकों के पलायन का असर, सरकार का दावा ढाई लाख एकड़ रकबा धान के अधीन कम करेंगे
फतेहगढ़ साहिब के गांव डडियाणा के अवतार सिंह ने इस साल तीन एकड़ धान की सीधी बुवाई के लिए खेत को जोतना शुरू कर दिया है। वह बेड बनाकर उसके दोनों ओर धान का बीज रोपेंगे। वह ऐसा तजुर्बा पहली बार कर रहे हैं। गांव में उनके अलावा हरमीत सिंह भी ऐसा ही प्रयास करने में जुटे हैं।
अवतार सिंह ने बताया कि गांव में हर किसान इस बार दो से तीन एकड़ सीधी बुवाई करेगा, क्योंकि इस बार लेबर की कमी साफ नजर आ रही है। गांव की अपनी लेबर या थोड़ी बहुत लेबर जो रह गई है उसे अतिरिक्त पैसा देकर शेष जमीन पर पुरानी रोपाई वाली विधि से धान रोपेंगे।
अवतार सिंह जैसे अनेक किसान इसी तरह की सोच रखते हैं। उनका मानना है कि जिस तरह से श्रमिकों की रेलगाडिय़ां भर भरकर जा रही हैं, उसे देखकर नहीं लगता कि जून महीने में उन्हें लेबर मिलेगी। सरकार ने किसानों से एक जून से सीधी बुआई शुरू करने को कहा है।
खेतीबाड़ी विभाग के सचिव काहन सिंह पन्नू का कहना है कि इस साल पांच लाख हेक्टेयर पर सीधी बुवाई करवाने का लक्ष्य है और हम किसानों को लगातार इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल तीस लाख हेक्टेयर पर धान की रोपाई हुई थी इस बार हम इसे 27 पर लाना चाहते हैं। हम एक लाख हेक्टेयर में कपास, एक से डेढ़ लाख में मक्की और शेष 50 हजार में फलों व सब्जियों की काश्त को बढ़ाएंगे।
पन्नू ने कहा कि चूंकि सीधी बुवाई का यह पहला तजुर्बा है इसलिए हमने किसानों से कहा है कि वह बीस फीसदी जमीन से ज्यादा पर सीधी बुवाई न करें। किसानों को सीधी बुवाई में नदीन की समस्या आ सकती है, के जवाब में काहन सिंह पन्नू ने कहा कि सीधी बुवाई में नदीन नाशक की 24 घंटों के भीतर और फिर 24 दिनों बाद के भीतर करने से यह समस्या नहीं आएगी।
उधर, खेती विभाग से रिटायर्ड खेती अधिकारी डॉ दलेर सिंह जो पिछले 20 सालों से सीधी बुवाई का सफल तजुर्बा कर रहे हैं, ने बताया कि धान को पानी दोहन करने वाली माना जाता है लेकिन अगर हम जमीन को कद्दू करके रोपाई वाला सिस्टम रखेंगे तो उसमें पानी लगेगा साथ ही जमीन पथरीली हो जाएगी जिससे बरसात के दिनों में पानी जमीन के अंदर नहीं जाता। यही कारण है कि पंजाब में पानी का स्तर तेजी से गिर रहा है।
उन्होंने बताया कि सीधी बुवाई वाले सिस्टम में चूंकि यह बैड बनाकर लगानी होती है इसलिए रोपाई वाले सिस्टम के मुकाबले मात्र 30 फीसदी पानी लगता है। यानी हमारे पास सत्तर फीसदी पानी को बचाने की संभावना है। डॉ. दलेर सिंह ने कहा कि जिस तरह से लेबर पलायन कर रही है, उसे पंजाब के किसानों को साकारात्मक पक्ष से लेना चाहिए। हो सकता है कि इस साल सीधी बुवाई का वे सफल तजुर्बा कर लें और अगर उनकी पैदावार कम न हुई तो वह अगले साल से खुद ही सीधी बुवाई की ओर लौट आएंगे।
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