jalandhar, December 17, 2021 4:35 pm
पंजाब विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) के बीच होने वाले गठबंधन का फार्मूला लगभग तैयार हो गया है। सूबे के किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी पकड़ को देखते हुए कैप्टन को गांव और भाजपा को शहरी क्षेत्रों को देखना होगा। सीटों को लेकर दोनों दलों के बीच बैठकों का दौर जारी है। जल्द ही दोनों दलों की तरफ से शीट शेयरिंग का खुलासा किया जाएगा।
कांग्रेस से इस्तीफे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में अपनी नई सियासी पारी शुरू कर रहे हैं। इसको लेकर उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी का गठन भी किया है। कैप्टन का पूरा जोर है कि वह 2022 के चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएंगे। इस चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा कर चुके हैं।
उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ गठबंधन न कर सीट शेयरिंग के फार्मूले पर चुनाव लड़ने का एलान किया है। इसको लेकर कैप्टन लगातार भाजपा नेताओं के साथ बैठकें कर रणनीति बना रहे हैं। अब तक की हुई बैठकों में दोनों दलों के बीच चुनाव लड़ने को लेकर पहला जीत का फार्मूला तैयार किया गया है। जिसमें कैप्टन गांवों पर और भाजपा शहरी क्षेत्रों पर फोकस करेगी।
कैप्टन की ग्रामीण क्षेत्रों में हमेशा ही पकड़ अच्छी रही है। उन्हें खेती किसानी से हर चुनाव में अच्छा सपोर्ट मिलता रहा है। 2017 में भी शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा कैप्टन को गांवों से अच्छा सहयोग मिला था, जिसके दम पर उन्होंने पंजाब की सत्ता हासिल की। साथ ही पंजाब के सिखों पर कैप्टन की अच्छी पकड़ है।
कैप्टन की वजह से 1999 में कांग्रेस खुद को फिर से जिंदा कर सकी। वहीं भाजपा का पंजाब के शहरों में अच्छा जनाधार रहा है। साथ ही शिअद के साथ गठबंधन के दौरान भाजपा इसी फार्मूले पर चुनाव में शिरकत करती रही है। भाजपा राष्ट्रवाद व हिंदू वोट को लेकर अपना ध्रुवीकरण करने में भी लगी हुई है।
भाजपा को अब भी किसानों का डर
केंद्र सरकार के द्वारा तीनों कृषि कानूनों की वापसी के फैसले के बाद भी भाजपा किसानों को लेकर अभी डरी हुई है। चुनावी माहौल में भाजपा अब किसानों के विरोध को झेलना नहीं चाहती। ऐसे में पार्टी के नेता फूंक फूंककर कदम रख रहे हैं। यही वजह है कि किसानों को लेकर भाजपा के नेता कोई भी बयान देने से बच रहे हैं।
2017 में निर्णायक रहीं ग्रामीण सीटें
2017 के पंजाब विधानसभा में राज्य की 117 सीटों में से कांग्रेस ने कुल जीतीं 77 सीटों में 40 ग्रामीण इलाकों की थीं। इन सीटों पर सिख समुदाय ज्यादा प्रभावशाली है। जब पंजाब में कैप्टन की अगुवाई वाली सरकार बन गई, तब भी बेअदबी का मामला सुर्खियों में बना रहा। अमरिंदर ने जांच के लिए जस्टिस रणजीत सिंह आयोग का गठन किया, जिसने एक विस्तृत रिपोर्ट भी दी। विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर चर्चा कराई गई। कांग्रेस को सिख समुदाय में अपनी पैठ बनाने में और मदद मिली और अकाली दल के खिलाफ माहौल तैयार हुआ।
भाजपा के लिए पंजाब हित सर्वोपरि है। इसी भावना को लेकर कैप्टन भी काम कर रहे हैं। दोनों के एक ही मुद्दे हैं। इन्हीं मुद्दों को लेकर पंजाब के चुनावी रण में उतरा जाएगा।-दिनेश कुमार, संगठन मंत्री, पंजाब भाजपा।
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