August 20, 2021 4:06 pm
अफगानिस्तान में तालिबान का जब से कब्जा हुआ है तब से वहां की जनता को तालिबान के जुल्मो का सामना करना पड़ रहा है | अफगानिस्तान की महिलाओ को सबसे ज्यादा इन क्रूरता का सामना करना पड़ रहा है | अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां की महिलाएं अपने अधिकारों और अपने ऊपर होने वाले जुल्मों को लेकर डरी हुई हैं | भारत समेत दुनिया के कई देशों ने अफगानिस्तान की बदतर होती स्थिति को लेकर अपनी चिंताए जाहिर की हैं | वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है |
असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद में कहा है, ‘’भारत में क़रीब 10 फीसदी लड़कियों की मौत पांच साल से कम उम्र में हो जाती है, लेकिन चिंता अफ़ग़ानिस्तान की हो रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘’भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ बेहिसाब ज़ुल्म होते हैं, लेकिन केंद्र को चिंता अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं की है.’’
तालिबान द्वारा तेज और अप्रत्याशित आक्रमण के चार दिन बाद अफगानिस्तान की राजधानी की सड़कों पर कोई महिला नजर नहीं आई. काबुल के पतन के बाद उसने कई व्यवसायी महिलाओं के साथ अपना रेस्तरां बंद कर दिया. तालिबान के कब्जे के बाद से सभी शैक्षणिक केंद्र, स्कूल, विश्वविद्यालय, सरकारी भवन और निजी कार्यालय भी बंद कर दिए गए हैं.
साल 1996-2001 के तालिबान के क्रूर शासन में महिलाओं को लगातार मानवाधिकारों के उल्लंघन, रोजगार और शिक्षा से वंचित किया गया, बुर्का पहनने के लिए मजबूर किया गया और एक पुरुष ‘‘संरक्षक’’ या महरम के बिना उनके घर से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी गई|
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