Jalandhar, December 08, 2021 2:10 am
कांग्रेस में टूटने से पैदा हुए 70 से अधिक नए दलों के बनने में हरियाणा का योगदान भी कम नहीं है। प्रदेश में स्व. देवीलाल, स्व. बंसीलाल और स्व. भजनलाल ने समय-समय पर खुद को कांग्रेस से अलग करते हुए अपनी-अपनी अलग पार्टियां बनाई। यह तीनों नेता हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। हरियाणा की राजनीति की पहचान इन तीनों लालों से होती है। अब प्रदेश की राजनीति में हालांकि चौथे लाल, मनोहर लाल भी पूरी तरह से सक्रिय हैं, लेकिन वह भारतीय जनता पार्टी की राजनीति करते हैं। मनोहर लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं। उन्हें दूसरी बार सरकार बनाने का मौका मिला है।
कैप्टन का असर हरियाणा की राजनीति पर भी
हरियाणा के तीन लालों के बाद अब पंजाब में कांग्रेस से अलग होकर कैप्टन अमरिंदर सिंह भी इसी राह पर हैं।पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलग पार्टी बनाने का असर हरियाणा की राजनीति पर पड़ना तय है। प्रदेश में कई बार ऐसे मौके आए, जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी अलग पार्टी बनाने के संकेत दिए। उन्होंने हरियाणा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष डा. अशोक तंवर को पद से हटाने की मुहिम चलाई। कांग्रेस हाईकमान ने जब तंवर को नहीं हटाया तो रोहतक में रैली कर हुड्डा ने साफतौर पर अपनी अलग पार्टी बनाने का संकेत दे दिया था, लेकिन जी-२३ के नेताओं के हस्तक्षेप के चलते हुड्डा ने यह इरादा टाल दिया। राजनीतिक परिस्थितियों के चलते अशोक तंवर खुद ही कांग्रेस छोड़ गए और उन्होंने अपना अलग संगठन बनाया।
अशोक तंवर ने भी कांग्रेस से टूटकर बनाया नया दल
अशोक तंवर ने इस संगठन का नाम अपना भारत मोर्चा रखा। विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला का साथ दिया। ऐलनाबाद उपचुनाव में इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला के साथ ताल से ताल मिलाई। अब अशोक तंवर पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। उनसे पहले, जब हरियाणा अलग राज्य बना था, तब प्रदेश में विशाल हरियाणा पार्टी का गठन हुआ था। यह पार्टी राव बीरेंद्र सिंह ने बनाई थी, जिनके बेटे राव इंद्रजीत पहले कांग्रेस की राजनीति करते थे और अब भाजपा की राजनीति करते हैं। गुरुग्राम से सांसद हैं तथा मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं।
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