jalandhar, January 21, 2021 3:16 pm
नई दिल्ली
तीनों कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने बुधवार को अब तक का सबसे बड़ा स्टैंड लिया। इससे पूर्व हुई सभी बैठकों से दसवें दौर की यह मीटिंग बेहद अलग और अहम रही। केंद्र सरकार ने डेढ़ साल तक कानूनों को होल्ड पर रखने का बड़ा प्रस्ताव देते हुए अब गेंद किसान नेताओं के पाले में डाल दी। केंद्र की इस पहल पर किसान नेता भी सोचने को मजबूर हो गए हैं। यही वजह है कि किसान नेताओं ने गुरुवार को बैठक कर सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करने की बात कही है। 22 जनवरी को फिर होने वाली बैठक में किसान नेता केंद्र सरकार के फैसले पर अपना रुख स्पष्ट करेंगे।
अगर सरकार की तरफ किसान नेताओं ने भी रुख में नरमी लाते हुए केंद्र के फैसले को मंजूर किया तो फिर किसान आंदोलन अगली बैठक में खत्म हो सकता है। गृहमंत्री के घर रणनीति विज्ञान भवन में बुधवार को ढाई बजे से बैठक शुरू होने से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने गृहमंत्री अमित शाह के घर जाकर मीटिंग की। गृहमंत्री के घर पर दसवें दौर की बैठक को लेकर खास रणनीति बनी। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान सरकार की तरफ से अब तक का सबसे बड़ा स्टैंड लेने का निर्णय हुआ।
कानूनों को डेढ़ साल स्थगित करने का प्रस्ताव भी ठुकराया
मंत्रियों के बीच तय हुआ कि 26 जनवरी से पहले किसान आंदोलन को खत्म कराने का यही एकमात्र रास्ता है कि किसानों के सामने कानूनों को कम से कम एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया जाए और इस बीच दोनों पक्षों की बातचीत चलती रहे। गृहमंत्री से चर्चा के बाद विज्ञान भवन पहुंचे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने यही प्रस्ताव किसान नेताओं के सामने रखा। अब गेंद किसानों के पाले में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक में किसान नेताओं से कहा कि कृषि सुधार कानूनों को एक से डेढ़ वर्ष तक स्थगित किया जा सकता है।
'जिस दिन आंदोलन समाप्त होगा, वह लोकतंत्र के लिए जीत होगी'
लगभग साढ़े पांच घंटे चली 10वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने एक से डेढ़ साल तक इन कृषि कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव किसानों समक्ष रखा ताकि इस दौरान सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिध आपस में चर्चा जारी रख सकें और दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान इस कड़ाके की ठंड में अपने घरों को लौट सकें। उन्होंने कहा, ‘‘जिस दिन किसानों का आंदोलन समाप्त होगा, वह भारतीय लोकतंत्र के लिये जीत होगी।’’
क्या कहना है किसान नेताओं का
भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा, ‘‘सरकार ने कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का प्रस्ताव रखा। हमने इसे खारिज कर दिया लेकिन यह प्रस्ताव चूंकि सरकार की तरफ से आया है, हम कल इस पर आपस में चर्चा करेंगे और फिर अपनी राय बतायेंगे।’’ एक अन्य किसान नेता कविता कुरूगंती ने कहा कि सरकार ने तीनों कानूनों को आपसी सहमति से निर्धारित समय तक निलंबित करने और समिति गठित करने के सिलसिले में उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा देने का प्रस्ताव भी रखा। जमूरी किसान सभा के कुलवंत सिंह संधू ने कहा, ‘‘सरकार बैकफुट पर है और वह झुकने के लिए आधार बना रही है।’’
संशोधन का प्रस्ताव ठुकराया, कानूनों को निरस्त करने की मांग
केंद्र सरकार ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से 10वें दौर की वार्ता में तीनों कृषि कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव भी रखा लेकिन प्रदर्शनकारी किसान इन कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे। किसान नेताओं ने कहा कि वे तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर कायम हैं लेकिन इसके बावजूद वे सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे और अपनी राय से अगली बैठक में वे सरकार को अवगत कराएंगे। किसानों ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने पर चर्चा टाल रही है।
2024. All Rights Reserved