jalandhar, February 11, 2021 7:09 pm
LPG Gas Cylinder Subsidy: एलपीजी यानी रसोई गैस सब्सिडी को लेकर इन दिनों ऐसी चर्चा हो रही है कि सरकार इसे खत्म कर सकती है. बजट में पेट्रोलियम सब्सिडी घटाए जाने को इससे जोड़ कर देखा जा रहा है. बजट पेश होने के बाद से ही पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और खासकर एलपीजी सब्सिडी को लेकर लोगों के मन में कई तरह की बातें चल रही हैं. इसको लेकर केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Petroleum Minister Dharmendra Pradhan) ने राज्यसभा में लिखित जवाब दिया है.
दरअसल वित्त मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2022 के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी को घटाकर 12,995 करोड़ रुपये कर दिया है, जिसके बाद इन चर्चाओं को बल मिला कि सब्सिडी खत्म की जा सकती है. हालांकि सरकार ने इन संशयों और चर्चाओं पर विराम लगाते हुए बताया है कि रसोई गैस पर सब्सिडी जारी है. यह बंद नहीं की गई है.
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तेल मार्केटिंग कंपनियों (OMC) के हवाले से राज्यसभा में बताया कि एक फरवरी तक एलपीजी उपभोक्ताओं ने 1.08 करोड़ सब्सिडी ले ली है. एलपीजी समेत अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतों पर उन्होंने कहा कि इनकी कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़ी हुई हैं. इसके बावजूद सरकार ने सब्सिडी वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर के उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी बनी हुई है.
राज्यसभा में एक लिखित जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि एलपीजी उपभोक्ताओं को ये उत्पाद रियायती दरों पर मिलते हैं. कीमतों को लेकर उन्होंने कहा कि घरेलू सब्सिडी वाले एलपीजी पर सब्सिडी अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पाद की कीमत में वृद्धि और कमी के साथ-साथ सब्सिडी सरकार के निर्णय के अनुसार बढ़ती और घटती है.
बता दें कि उज्ज्वला योजना 1 मई 2016 को लॉन्च की गई थी, जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को एलपीजी कनेक्शन के लिए 1,600 रुपये दिए जाते हैं. उन्हें सब्सिडाइज्ड रसोई गैस सिलेंडर मुहैया कराए जाते हैं. 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रोलियम सब्सिडी के जरिए राजस्व प्राप्ति 2011-12 के 9.1 फीसदी की तुलना में घटकर वित्त वर्ष 2018-19 में यह 1.6 फीसदी पर आ गई थी. इसका सीधा प्रभाव जीडीपी पर पड़ा है.
वर्ष 2011-12 में केरोसिन पर सब्सिडी 28,215 करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान में घटकर 3,659 करोड़ रुपये पर आ चुकी है.आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि उज्जवला योजना में लाभुकों की संख्या बढ़ाने से LPG Subsidy का बोझ और ज्यादा बढ़ सकता है. हालांकि इसे केवल गरीब वर्ग तक सीमित रखा जाए, सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या को कैपिंग की जाए, तो इस बोझ को कम किया जा सकता है.
एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा कहते हैं कि सब्सिडी एक गंभीर और राजनीतिक विषय है. दशकों से इसपर राजनीति होती आ रही है. खैर, जहां तक सब्सिडी हटाने या भविष्य में इसे खत्म करने के फैसले का सवाल है, तो यह किसी अधिकारी के अधिकार क्षेत्र की तो बात है नहीं. जब भी ऐसा कोई फैसला लिया जाएगा, सरकार लेगी. सत्ता में जो भी दल होगा, जो लोग होंगे, वे तय करेंगे कि सब्सिडी रहने देना है या इसे खत्म करना है.
सब्सिडी का मतलब ये है कि जो व्यक्ति जरूरतमंद है और वह कोई जरूरत की चीज अफोर्ड नहीं कर सकता तो सरकार का मानना है कि उसे सब्सिडी दी जानी चाहिए. अमेरिका में किसानों को 50 बिलियन डॉलर की सब्सिडी दी जाती है. इतना संपन्न देश है, लेकिन कोरोना की वैक्सीन सबको फ्री में लगाई जाएगी. वहां की सरकार ने तय किया है.
अब ये कहिए कि अभी यहां इंटरनेट डाटा पैक सस्ता है, कल को यह बहुत महंगा हो जाए और सरकार को लगे कि यह पब्लिक को मिलना चाहिए तो इस पर सब्सिडी शुरू हो सकती है. जबतक देश में ऐसे लोग हैं, जिन्हें सब्सिडी की जरूरत है… तबतक कोई भी सरकार आ जाए, सब्सिडी तो देनी होगी. ये कहना एक अलग फिलोसॉफी है, भविष्य में सब्सिडी तो खत्म हो ही जाएगी.
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