Jalandhar, April 04, 2023
मोहाली जिले के डेराबस्सी कस्बे स्थित इंडस इंटरनेशनल हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट के मामले में नया खुलासा हुआ है। यह रैकेट एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह द्वारा चलाया जाता था। वह एक किडनी किसी जरूरतमंद को 16 से 25 लाख रुपए में बेच देता था। हैरानी की बात यह है कि इस गिरोह में शामिल लोग पैसे का लालच देकर एक गरीब व्यक्ति से किडनी खरीदते थे और मरीज के रिश्तेदार बनकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर उसका प्रत्यारोपण कर देते थे। जांच में अस्पताल में कई अनियमितताएं भी सामने आई हैं।
वहीं, पुलिस एसपी. (ग्रामीण) नवरीत सिंह विराक के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है।इसमें डेराबस्सी एएसपी डॉ. दर्पण अहलूवालिया और डेराबस्सी थानाध्यक्ष जसकनवाल सिंह सेखों भी शामिल हैं।स्वास्थ्य विभाग के अनुसार किसी भी अंग प्रत्यारोपण के लिए अस्पताल को पहले स्वास्थ्य विभाग से मंजूरी लेनी होती है। इसके बाद अस्पताल के प्रमुख की अध्यक्षता वाले बोर्ड द्वारा इसे अनुमोदित किया जाता है। अगर किडनी डोनर जरूरत में मरीज का रिश्तेदार है तो उसके दस्तावेजों के अलावा ब्लड डीएनए की भी जांच की जाती है लेकिन इस मामले में मानक पूरा नहीं हुआ। किडनी प्रत्यारोपण के लिए अस्पताल का तीन साल का लाइसेंस जून में समाप्त हो जाएगा।
एसीपी डॉ. दर्पण अहलूवालिया का कहना है कि अस्पताल को तीन साल पहले मानव अंग प्रत्यारोपण की मंजूरी मिली थी। इन तीन सालों के दौरान अब तक 34 किडनी ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि ट्रांसप्लांट के दौरान नियमों का पालन किया गया या नहीं। अब तक की जांच में अस्पताल के किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख की संलिप्तता सामने आई है। अस्पताल की भूमिका की जांच की जा रही है। अस्पताल द्वारा नियमों के अनुपालन को लेकर एएसपी का कहना है कि अभी तक दस्तावेज व डीएनए की जांच नहीं हुई है। हालांकि जांच में सामने आया है कि किडनी ट्रांसप्लांट का घोटाला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल चुका है और अस्पताल जरूरतमंदों को 16 से 25 लाख में किडनी बेचता था।
जांच में पता चला कि अस्पताल के समन्वयक अभिषेक ने कुछ दिन पहले डेराबस्सी की एक पॉश सोसाइटी में लाखों रुपए का फ्लैट खरीदा था। इसके अलावा उन्होंने कुछ दिन पहले एक नई गाड़ी भी खरीदी है। अभिषेक दो साल पहले अस्पताल में भर्ती हुए थे और उनका वेतन 45,000 रुपये प्रति माह था। इससे पहले अभिषेक पंचकूला के एक निजी अस्पताल में काम करते थे, जहां से उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद बर्खास्त कर दिया गया था।
सतीश के परिवार के साथ तस्वीरें ली गईं और कपिल को असली बेटा दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर रखा गया। वोटर कार्ड और आधार कार्ड भी जाली थे। रिकॉर्ड के साथ ग्राम पंचायत के दस्तावेज भी संलग्न थे। यहां तक कि ब्लड और डीएनए रिपोर्ट से भी छेड़छाड़ की गई है।
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