jalandhar, January 28, 2021 7:16 pm
वैसे 28 जनवरी को डाटा प्राइवेसी डे मनाया जाता है। इस दिन का खास मकसद है लोगों को यह बताना कि डाटा की प्राइवेसी कितनी जरूरी है. अमेरिका और कनाडा सहित यूरोप के कई देशों में यह दिवस मनाया जाता है. भारत की जहां तक बात है तो यहां डाटा प्रोटेक्शन बिल अपने एडवांस स्टेज है और उसे संसद के दोनों सदनों की जॉइंट सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया है. इस बिल में लोगों के निजी डाटा को सुरक्षित बनाने का प्रावधान किया गया है. इसके लिए डाटा प्रोटक्शन अथॉरिटी ऑफ इंडिया बनाए जाने की भी योजना है.
इस बिल का मकसद है कि किसी व्यक्ति के डाटा का दुरुपयोग न हो. हालांकि अगर आपका कंप्यूटर या मोबाइल फोन हैक हो जाता है तो यह जिम्मेदारी आपकी है. अगर आपको फोन कर कोई ठग या जालसाज आपकी जरूरी जानकारियां जुटा ले तो इसकी जवाबदेही भी आपकी होगी न कि सरकार की. ऐसे में जरूरी है कि आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर को हैकर्स से सुरक्षित रखें, जालसाजी का फोन आने पर अपनी कोई जानकारी लीक न करें.
आजकल मोबाइल से ही ज्यादातर लेनदेन हो रहा है. लोगों को मोबाइल के जरिये अपने काम निपटाने में आसानी होती है, इसलिए समय की मांग है कि कस्टमर और बिजनेस को सिक्योरिटी और सेफ्टी पर ज्यादा फोकस करना चाहिए. यह बात फिनटेक कंपनी नियो के विवेक बागरी ने ‘मिंट’ से कही. बागरी ने यह भी बताया कि जब मोबाइल से ट्रांजेक्शन करें तो सिक्योरिटी के कुछ नियम-कानूनों का पालन करें.
अधिकांश साइबर क्राइम तब होता है जब व्यक्ति अपनी डिटेल जालसाजों को अपनी डिटेल शेयर कर देते हैं. कभी-कभी हैकर्स सोशल इंजीनियरिंग का भी सहारा लेते हैं और सेंसिटिव इनफॉरमेशन चुराते हैं. फ्रॉडस्टर हो सकता है अपने को इंश्योरेंस कंपनी या बैंक का प्रतिनिधि बताएं. इसलिए फोन पर अपनी जानकारी कभी शेयर न करें. इस बात का ध्यान रखें कि कार्ड की डिटेल या पिन नंबर कभी भी फोन में नोट न करें. फोन में ऐप को कभी भी ओटीपी पढ़ने की परमिशन न दें. एसएमएस से आने वाला ओटीपी खुद भरें न कि ऑटो फिल होने दें.
अभी हाल में रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा था कि कस्टमर को इस बात की अनुमति दी जाए कि वे कार्ड को लॉक और अनलॉक कर सकें. कस्टमर बैंक के ऐप के सहारे कार्ड को लॉक या अनलॉक कर सकते हैं. कुछ खास ट्रांजेक्शन के लिए कस्टमर अपने कार्ड को ब्लॉक कर सकते हैं. जैसे कि कस्टमर अगर विदेश यात्रा पर नहीं जा रहा है तो वह इंटरनेशल ट्रांजेक्शन को ब्लॉक कर सकता है. कस्टमर अपने मुताबिक ट्राजेक्शन लिमिट को भी सेट कर सकता है.
अगर आपका मोबाइल या कंप्यूटर हैक हो जाए तो इसके कुछ संकेत हैं जिससे आप पता कर सकते हैं. हैक होने पर कंप्यूटर या मोबाइल अलग तरह का स्वभाव दिखाते हैं. जैसे कि फोन अगर स्लो चले तो हो सकता है कि उसके बैकग्राउंड में कोई मैलवेयर चल रहा हो. यह आपका पर्सनल इनफॉरमेशन चुरा सकता है. इसका पता तब चलता है जब आपको लगे कि फोन जिस तेजी से पहले काम कर रहा था, वैसी बात हैक होने पर नहीं रहेगी.
बिना यूज के भी बैटरी जब तेजी से खत्म हो तो मान सकते हैं कि आपका फोन हैक हुआ है. क्योंकि साधारण स्थिति में फोन की बैटरी में कोई दिक्कत नहीं आती. हैकिंग के बाद बैटरी तेजी से ड्रेन होती है.
आपके फोन पर पॉप अप्स मैसेज की संख्या अचानक बढ़ जाए. ऐसे मैसेज जिसके बारे में आपको पता न हो या आपने कभी उसके लिए अप्लाई न किया हो. मान कर चलें कि आपके फोन में एडवेयर का इनफेक्शन है. एडवेयर भी एक तरह का मैलवेयर है जो आपके फोन के कुछ पेज को पढ़ता है और जानकारी चुराता है. कभी-कभी फोन में ऐसे ऐप्स दिखने लगते हैं जिसे आपने इंस्टॉल नहीं किया है. यह भी हैकिंग का संकेत है.
आपके फोन पर विचित्र टेक्स्ट मैसेज आने लगे जिसमें ऐसे लेटर हों जो आप समझ न सकें या पढ़ न सकें. इसका मतलब यह हुआ कि आपका फोन किसी थर्ड पार्टी के कंट्रोल में है या उससे जुड़ा हुआ है. ये बातें देखने-सुनने में छोटी लग सकती हैं लेकिन खतरे बड़े हैं. इसलिे इनसे बचने के लिए फोन को सुरक्षित रखें, सुरक्षित पासवर्ड बनाएं.
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