india, January 23, 2020
ओडिशा (प्रतिवचन ब्यूरो)
जिस उम्र में लड़कियां पढ़ाई करती हैं और अपनी शादी के सपने देखती हैं, उस उम्र में एक लड़की ऐसी भी है जो लड़का बनकर सैलून में लोगों के बाल काट रही है. इस लड़की का नाम सस्मिता बारीक है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि ये लड़की स्वाधीनता संग्रामी नखी भण्डारुणि की परपोती है.
कटक जिले के सालेपुर ब्लॉक से 10 किमी दूर बहुग्राम गांव की रहने वाली है सस्मिता. सब उसको काली के नाम से बुलाते हैं. मां के देहांत के बाद काली ने पढ़ाई छोड़ दी और आर्थिक जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले ली. काली पिता के साथ मिलकर बीते 7 सालों से बाल काटने का काम रही है.
बता दें कि स्वाधीनता संग्रामी नखी भण्डारुणि घर-घर जाकर नाई का काम करती थी. उस दौरान गांधीजी की पदयात्रा चल रही थी. 1934 में महात्मा गांधी हरिजन पदयात्रा में निकलकर ओडिशा गौरव मधुसूदन दाश के गांव सालेपुर में ठहरे थे. गांधीजी की दाढ़ी और बाल काटने के लिए कोई नाई नहीं मिल रहा था. सब अंग्रेजों से डरे हुए थे. ये बात जब नखी भण्डारुणि के पास पहुंची तो वो औरत होने के बावजूद बिना डरे गांधीजी के पास पहुंची. उस समय कोई औरत नाई का काम करे, ये बड़ी बात थी.
गांधीजी नखी भण्डारुणि से काफी प्रभावित हुए और गांधीजी ने उनको भी स्वाधीनता का मंत्र दिया और संग्रामियों के लिए कुछ दान देने के लिए भी कहा. ये सुन उन्होंने अपने पहने हुए अलंकार और पैसे सब दान में दे दिए. आगे भी नखी अपने खाने के लिए पैसे रख बाकी सारे पैसे दान करती रही. वो अपने नाई के काम के साथ-साथ सब को स्वाधीनता के बारे में सचेतन करती रही. इस महान महिला की परपोती सस्मिता भी नाई का काम करती है. लेकिन सस्मिता ये काम लड़का बनकर करती है.
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