Jalandhar, March 13, 2023
हाल ही में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।इस सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिका का विरोध किया था। गौरतलब है कि इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी। पारदीवाला पीठ ने किया।
केंद्र सरकार ने समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने का विरोध करते हुए रविवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है। वहीं, केंद्र का कहना है कि समलैंगिक और विषमलैंगिक संबंध दोनों अलग-अलग हैं और इन्हें एक नहीं माना जा सकता है।
गौरतलब है कि भारत में इस तरह की शादियों को मान्यता देने की मांग लगातार जारी है और लंबे समय से चली आ रही है।बता दें कि समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने की मांग को लेकर विभिन्न उच्च न्यायालयों में याचिकाएं दायर की गई थीं। इन सभी याचिकाओं में हिंदू विवाह अधिनियम 1955, विशेष विवाह अधिनियम 1954 और विदेशी विवाह अधिनियम 1969 के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग की गई है। यह ध्यान देने योग्य है कि उत्तर और दक्षिण अमेरिका और यूरोप के अधिकांश देशों ने समलैंगिक विवाह को वैध कर दिया है।
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