jalandhar, January 28, 2021 6:52 pm
स्किन टू स्किन' जजमेंट के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच का बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़ा एक और फैसला आया है। कोर्ट के मुताबिक, नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और आरोपी की पैंट की जिप खुली रहना पॉक्सो ऐक्ट (POCSO) के तहत यौन हमला नहीं है। यह आईपीसी की धारा 354 (शीलभंग) के अंतर्गत अपराध है। गत 15 जनवरी को कोर्ट ने आरोपी को पॉक्सो ऐक्ट के तहत दी गई सजा को रद्द कर दिया था। उसे सिर्फ आईपीसी की धारा 354A (1) (i) के तहत दोषी पाया गया। इसमें अधिकतम 3 साल की सजा मिल सकती है।
जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला की सिंगल बेंच ने 50 वर्षीय शख्स द्वारा 5 साल की लड़की से यौन अपराध मामले में यह फैसला दिया है। निचली अदालत ने पॉक्सो ऐक्ट की धारा 10 के तहत आरोपी को 5 साल के सश्रम कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। लड़की की मां ने शिकायत दी थी कि आरोपी की पैंट की जिप खुली हुई थी और उसकी बेटी के हाथ उसके हाथ में थे। कोर्ट ने कहा कि यह मामला IPC की धारा 354A (1) (i) के तहत आता है, इसलिए पॉक्सो ऐक्ट की धारा 8, 10 और 12 के तहत सजा को रद्द कर दिया गया। अदालत ने माना कि अभियुक्त पहले से ही 5 महीने की कैद काट चुका है जो इस अपराध के लिए पर्याप्त सजा है।
'बिना टॉप उतारे ब्रेस्ट छूना यौन हमला नहीं'
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले यौन अपराध से जुड़े एक मामले में नागपुर बेंच ने 'स्किन टू स्किन' जजमेंट सुनाया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। अपने फैसले में अदालत ने कहा था कि 12 साल की नाबालिग बच्ची को निर्वस्त्र किए बिना, उसके ब्रेस्ट को छूना, यौन हमला (sexual assault) नहीं कहा जा सकता। इस तरह की हरकत पॉक्सो ऐक्ट के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं की जा सकती। हालांकि ऐसे आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (शीलभंग) के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
'यौन हमले के लिए शारीरिक संपर्क जरूरी'
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यौन हमले की परिभाषा में शारीरिक संपर्क प्रत्यक्ष होना चाहिए या सीधा शारीरिक संपर्क होना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘स्पष्ट रूप से अभियोजन की बात सही नहीं है कि आरोपी ने बच्ची का टॉप हटाया और उसका ब्रेस्ट छुआ। इस तरह बिना संभोग के यौन मंशा से सीधा शारीरिक संपर्क नहीं हुआ।’
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