JALANDHAR, February 22, 2020
जैकोबाबाद (पाकिस्तान):
पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जैकोबाबाद की एक अदालत ने हिंदू लड़की के चर्चित तथाकथित विवाह मामले में बेहद कड़ी सुरक्षा के बीच मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि लड़की नाबालिग है और इस वजह से वह शादी के लिए कानूनी रूप से योग्य (फिट) नहीं है. अदालत के इस फैसले के बाद विवाह अमान्य हो गया है. लेकिन, लड़की को उसके माता-पिता को नहीं सौंप गया है, उसे एक बाल संरक्षण गृह भेज दिया गया है. पाकिस्तान के अखबार 'डॉन' की रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि इसके साथ ही अदालत ने लड़की से विवाह करने वाले अली रजा सोलंगी समेत उन सात लोगों पर पुलिस से चौबीस घंटे में मुकदमा दर्ज करने को कहा जिन्होंने इस विवाह को अंजाम दिलाने में अपनी भूमिका निभाई थी.
अखबार 'जंग' की रिपोर्ट के मुताबिक, जैकोबाबाद पुलिस ने बुधवार को इन सातों के खिलाफ बाल विवाह कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया. इनमें सोलंगी, कथित निकाह को कराने वाला व दरगाह अमरोट शरीफ का प्रबंधक सैयद सिराज अहमद शाह भी शामिल हैं.
'डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक, जैकोबाबाद के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गुलाम अली कंसारो ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि लड़की नाबालिग है. इसके बाद उसका विवाह अमान्य हो गया. उसके परिवार की यही मांग थी कि विवाह को अमान्य घोषित किया जाए.
न्यायाधीश गुलाम अली कंसारो ने अपने फैसले में कहा कि लड़की '18 साल से कम की लग रही है' और इस वजह से सिंध बाल विवाह नियंत्रण कानून 2013 के तहत विवाह के लिए 'फिट' नहीं है. उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से इस बाल विवाह में शामिल सभी लोगों पर 24 घंटे के अंदर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया.
न्यायाधीश कंसारो ने लड़की कहां रहे, इसे तय करने के लिए मामले को संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट को संदर्भित कर दिया और महक को बाल संरक्षण गृह में भेजने का निर्देश दिया. पुलिस से महक की पुख्ता सुरक्षा करने को कहा गया है.
मामले की सुनवाई के दौरान जैकोबाबाद में अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम किए गए थे. पांच जिलों की पुलिस यहां लगाई गई थी. अदालत की तरफ जाने वाले सभी रास्तों को कंटीले तार लगाकर बाधित कर दिया गया था.
हिंदू समुदाय के सदस्यों, मानवाधिकार संगठनों, सिंधी राष्ट्रवादियों, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की महिला शाखा की सदस्यों, सिंध सूफी संगत व कई अन्य ने महक को इंसाफ दिलाने के लिए शहर में प्रदर्शन किया. उनका कहना था कि लड़की जबरन धर्मांतरण की शिकार हुई है.
जबकि, कई मुस्लिम धार्मिक संगठनों के आह्वान पर शहर पूरी तरह से बंद रहा. उनका कहना था कि लड़की ने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया है. वह अब मुस्लिम है, अगर उसे वापस उसके घर भेजा गया तो वे इसे सहन नहीं करेंगे. उसे उसके 'पति' को सौंपा जाए. लेकिन, इन संगठनों ने लड़की को बाल संरक्षण गृह भेजे जाने के अदालत के फैसले के प्रति विरोध नहीं जताया.
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