Jalnadhar, January 23, 2020
दिल्ली के विधानसभा चुनावों में नई दिल्ली सीट हमेशा से ही सुर्खियों में रही है. इस हाइप्रोफाइल सीट ने दिल्ली को अब तक पांच मुख्यमंत्री दिए हैं. इस बार भी सबकी निगाहें इस सीट की तरफ है क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल लगातार तीसरी बार यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. केजरीवाल से पहले शीला दीक्षित भी लगातार तीन बार ये सीट जीतकर 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी थीं.
दिल्ली में विधानसभा के गठन के बाद से ही लुटियंस जोन का यह इलाका राजनीतिक नज़रिये से बेहद अहम और चर्चित रहा है. साल 2008 के परिसीमन से पहले इस विधानसभा क्षेत्र का नाम गोल मार्केट था. साल 1993 में दिल्ली में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने क्रिकेट से राजनेता बने कीर्ति आजाद को यहां से चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बनाया था. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार बृजमोहन को पराजित किया था.
1998 में शीला दीक्षित ने इस सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इससे बाद 2003 में बीजेपी ने इस सीट से कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम को उतारा और 2008 के चुनाव में बीजेपी ने विजय जॉली को उतारा लेकिन कोई भी शीला दीक्षित को नहीं हरा पाया. 2013 में इस नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल खड़े हुए और उन्होंने शीला दीक्षित को मात दी. इसके बाद 2015 में केजरीवाल ने बीजेपी की नुपूर शर्मा को मात दी.
1993 के बाद से बीजेपी को यहां से एक बार भी जीत नसीब नहीं हुई है. नई दिल्ली सीट से एक बार फिर से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हैं. बीजेपी ने इस बार यहां से सुनील यादव तो कांग्रेस ने रोमेश सभरवाल को उम्मीदवार बनाया गया है. नई दिल्ली सीट इसलिये भी बाकी सीटों से अलग है क्योंकि यहां जातीय और दूसरे समीकरण बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं है. इस सीट पर सरकारी कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है और वही किसी की हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं
नई सीट पर 2015 विधानसभा के नतीजे
अरविंद केजरीवाल (AAP)- 57213 वोट
नुपूर शर्मा (BJP)- 25630 वोट
नई दिल्ली पर 2013 विधानसभा के नतीजे
अरविंद केजरीवाल (AAP)- 44269 वोट
शीला दीक्षित (INC)- 18405 वोट
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