Jalandhar, March 09, 2023
दूसरा राष्ट्रपति भवन न तो कोई आलीशान इमारत है और न ही यहां तैनात कोई सुरक्षाकर्मी, बल्कि एक कमरा और एक छोटा सा आंगन वाला मिट्टी की झोपड़ी जैसा घर है। छत पर शेड है और आसपास कुछ पेड़ हैं।
देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद 22 नवंबर 1952 को सूरजपुर के एक छोटे से गांव पंडोनगर आए। इसी गांव के इस घर में उन्होंने विश्राम किया था। उस समय सरगुजा रियासत के महाराजा रामानुज शरण सिंह देव भी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के साथ थे। भवन के अंदर डॉ. राजेंद्र प्रसाद और रामानुज शरण सिंहदेव ने भी फोटो खिंचवाई। यह तस्वीर अभी भी इमारत के अंदर मौजूद है। तभी से इस भवन को राष्ट्रपति भवन कहा जाने लगा। गांव के कुछ बुजुर्गों का कहना है कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने यहां दो पेड़ लगाए थे, जिनमें से एक आज भी है।
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