jalandhar, February 18, 2021 7:04 pm
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) के लिए नियम सख्त कर दिए हैं. नए नियम लिक्विडिटी कवरेज रेशियो, रिस्क मैनेजमेंट, एसेट क्लासिफिकेशन और लोन टू वैल्यू रेशियो से जुड़े हुए है. RBI ने इन्हें तुरंत लागू करने का आदेश दिया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके जरिए यह सुनिश्चित करना है कि HFCs इस प्रकार कामकाज ना करें कि जिसे निवेशक और जमाकर्ता के हितों को किसी तरह का नुकसान हो.
नेशनल हाउसिंग बैंक एक्ट, 1987 की धारा 29 A के तहत सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन (कोर) प्रदान भारत में हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां बनाई गई है.
हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (HFC) नॉन बैंकिंग फाइनेंस सर्विसेस (NBFC) की तरह होती है. इनका मुख्य व्यवसाय मकानों को खरीदने या निर्माण के लिए लोन देना है.
भारत में हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को भारतीय रिज़र्व बैंक नियंत्रित करता है. इस समय भारत में लगभग 100 से ज्यादा हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां हैं.
आपको बता दें कि फिलहाल हाउसिंग फाइनेंस कपनियों का नियंत्रण आरबीआई के पास है. पहले यह नेशलनल हाउसिंग बैंक के पास था. लेकिन, 2019 में केंद्रीय बैंक को इनके नियमन का अधिकार मिल गया था.
(1) नए नियम के मुताबिक, एचएफसी के लिए 31 मार्च 2021 तक 14 फीसदी मिनिमम कैपिटल एडेक्वेसी रेशियो के नियम का पालन करना होगा. इसका मतलब है कि उन्हें हर 100 रुपये के लोन पर कम से कम 14 रुपये की रकम का प्रावधान करना होगा.
अगर आसान शब्दों में कहें तो पूंजी पर्याप्तता अनुपात यानी कैपिटल एडिक्वेसी रेशियो से इस बात का पता चलता है कि कुल कर्ज जोखिम के फीसदी के रूप में बैंक के पास कितनी पूंजी है.
यह अनुपात आरबीआई द्वारा तय किया गया है और बैरोमीटर है जो अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए बैंक की क्षमता को दर्शाता है.
(2) आरबीआई ने लिक्विडिटी कवरेज, एसेट रीक्लासिफिकेशन और दूसरे प्रूडेंशियल मानकों के संबंध में भी निर्देश जारी किया है. इन्हें बैंकों की तरह बनाया गया है.
(3) RBI ने आदेश में कहा है कि अब इन कंपनियों को फेयर प्रैक्टिसेज कोड भी मानने होंगे. अगर आसान शब्दों में कहें तो एचएफसी को ग्राहकों को ऐसी भाषा में जानकारी देने के लिए कहा गया है, जो उन्हें आसानी से समझ में आ जाए. उन्हें लोन देने से पहले ग्राहक को सभी तरह की फीस की जानकारियां शुरू में ही देनी होगी. उन्हें ग्राहक को यह भी बताना होगा कि ब्याज दर में बदलाव के लिए क्या शर्तें होंगी.
(4) लोन रिकवरी एजेंट रखना जरूरी हो गया है.
जरूरी बातें
लोन टू वैल्यू (LTV) रेश्यो बहुत महत्वपूर्ण है, जो यह तय करता है कि लोन कितना मिलेगा. RBI ने हाल में एलटीवी को लेकर बैंकों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
इसके मुताबिक 30 लाख या उससे कम के लिए अधिकतम एलटीवी रेश्यो 90 फीसदी तक हो सकता है. 30 लाख से 75 लाख रुपये तक के होम लोन के लिए 80 फीसदी एलटीवी रेश्यो होता है और 75 लाख से अधिक के होम लोन के लिए 75 फीसदी एलटीवी रेश्यो होता है.
इस रेश्यो का मतलब हुआ कि अगर आप 75 लाख से अधिक की प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो बैंक से सिर्फ 75 फीसदी तक फाइनेंस हो सकता है.
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